Kashmir news – एक बेकसूर कश्मीरी शख्स 11 साल बाद हुआ जेल से रिहा

Kashmir news – जब से हमारे देश भारत मे राजनीती सकारात्मक मुद्दों को छोड़कर धर्म और जाती के आधार पर होने लगी तब से लोगो कि संख्या वोटर मे तब्दील हो गयी और इस वोटर को हासिल करने के लिए सकारात्मक और नकारात्मक नीति अपनाई गयी फिर चाहे किसी का शोषण ही क्यों न करना पड़े। इन शोषण का शिकार सबसे ज्यादा पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक हुआ है, खासकर मुसलमान!
फिर चाहे आतंकवाद के झूठे केस हो या देशद्रोह के मुक़दमे मानो ऐसा लगता हैँ यह सभी क़ानून सिर्फ मुसलमानो के लिए ही बने हो? लिखने को बहुत है, पर समझ कर इंसानियत के नाते इंसाफ हो तब बदलाव हो।
आखिर यह खबर लिखने कि जरूरत क्यू पड़ी आप खुद ही पढ लीजिये निचे
Top Kashmir news – बेकसूर कश्मीरी शख्स ने कहा क्या गुजरा वक़्त मुझे वापस मिलेगा?
Bashir ahmed baba – .श्रीनगर के रैनावारी इलाक़े में रहने वाले 43 वर्षीय बशीर बाबा जो विज्ञान की डिग्री लेने के बाद श्रीनगर में एक कंप्यूटर इंस्टीट्यूट चलाते थे को 2010 में भारत के पश्चिमी राज्य गुजरात के ATS ने राजधानी अहमदाबाद से गिरफ़्तार किया था.
उस वक़्त वह गुजरात में स्थित एक स्वयंसेवी संस्था ‘माया फ़ाउंडेशन’ के एक वर्कशॉप में भाग लेने के लिए गए हुए थे.।
कौन है यह बेकसूर कश्मीरी शख्स – Kashmir news
श्रीनगर के रैनावारी इलाक़े में रहने वाले 43 वर्षीय बशीर बाबा जो विज्ञान की डिग्री लेने के बाद श्रीनगर में एक कंप्यूटर इंस्टीट्यूट चलाते थे। गिरफ्तारी के वह क्लेफ्ट लिप एंड पैलेट (जन्म से ही बच्चों के कटे होंठ और तालू) नामक बीमारी से पीड़ित बच्चों के माता-पिता की मदद करने वाली, एक NGO माया Foundation से भी जुड़े हुए थे.
क्या था आरोप?
जब एक रिपोर्टर को बताए गए बयान से पता चलता है कि “बशीर अहमद कई गांवों में NGO के Specialist Doctors के साथ काम किया, उन्हें आगे के प्रशिक्षण के लिए गुजरात बुलाया गया था. जब मैवह गुजरात में NGO के hostel में रुका हुआ थे , उसी वक़्त गुजरात ATS ने उन्हें और कुछ दूसरे कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार कर लिया. बाक़ी को रिहा कर दिया गया लेकिन उन्हें गुजरात की बड़ौदा जेल में क़ैद कर दिया गया.”
बशीर पर विस्फोटक रखने और भारत में आतंकवादी गतिविधियों की योजना बनाने का आरोप लगाया गया था. हालांकि पिछले हफ़्ते गुजरात की एक अदालत ने उन्हें सभी आरोपों से ‘बा-इज़्ज़त बरी’ करने का फ़ैसला सुनाया है.।
एक बयान मे उन्होंने कहा कि उन्हें भरोसा था कि आख़िरकार अदालत से इंसाफ़ मिलेगा.
“मैं तो संतुष्ट हूं कि अदालत ने मेरी बेगुनाही का ऐलान कर दिया है, लेकिन मेरे जीवन के 11 साल कौन वापस करेगा?”
अब उस बेकसूर कश्मीरी बशीर अहमद के सवाल का किसी के पास नहीं हैँ क्योंकि जो बीत गया उसे कोई नहीं लौटा सकता
दरहसल यह कोई पहला केस नहीं है, न जाने कितने लोगो न बिना कसूर के जेलों मे अपनी पूरी जिंदगी गुजारी है, और बाद मे कोर्ट द्वारा बिना सबूत होने के कारण रिहा कर दिया गया। अब भी न जाने कितने ही लोग आतंकवाद के नाम पर या देशद्रोह के नाम पर झूठे केस मे जेलों मे बंद है, और राजनीती का शिकार हुए है।
सवाल यही है, कि आखिर ऐसे बेकसूर लोगो को इंसाफ कब मिलेगा ताकि बशीर जैसे लोगो को यह सवाल न करना पड़े कि मेरे बीते साल कौन वापस करेगा?”
आओ हम सब मिलकर एक स्वस्थ और इंसाफपसंद लोकतंत्र को बचाये जो हमारे देश कि खूबसूरती है, पहचान है,
हमारे भारत देश मे आज भी इंसाफ पसंद लोगो कि संख्या बहुत ज्यादा है। हमें भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए। यह देश सभी का है।